
दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ-13
तभी, संकरी घाटी में अचानक गगास नदी का पुल आ गया। पुल पार करके थोड़ा ऊपर पहुंच कर शेखर ने रोक लिया। …
तभी, संकरी घाटी में अचानक गगास नदी का पुल आ गया। पुल पार करके थोड़ा ऊपर पहुंच कर शेखर ने रोक लिया। …
दिवालीखाल से कुछ देर उतराई में चलने के बाद गाड़ी गैरसैंण पहुंच गई। गैरसैंण! लोगों की आशाओं की भावी राजधानी। वही गैरसैंण …
हम बातें करते-करते उतरते रहे। गीता महिला समाख्या की जिला निदेशक हैं। उन्होंने नैनीताल जिले के विभिन्न इलाकों में महिलाओं की स्थिति …
अब तक हम चोपता से तुंगनाथ शिखर पर चढ़ने की थकान तो भूल ही चुके थे। सब लोग प्रांगण में आए। उसकी …
हम लोग तुंगनाथ की चढ़ाई चढ़ने लगे। दो-एक घोड़े वालों ने पूछा। पालकी वाले ने पूछा। हम लोगों ने कहा- नहीं भाई, …
घने जंगल में अचानक काला कुत्ता देख कर मैं चौंक पड़ा। “कुत्ता? यहां? ”मुंह से निकला। तब तक पेड़ों के बीच से …
अगले दिन यानी ‘सिर-खुरी’ की सुबह से ही आंगन में महिलाएं बहुत बड़े घेरे में झूमते हुए भ्वैंनी गा रही थीं। उनमें …
साढ़े छह बजे हम तुंगनाथ के लिए चल पड़े। हमारे दल में थेः शेखर, जे.एस. मेहता, समीर बनर्जी, मैं, प्रकाश, कमल, रामू …
पीछे-पीछे डंगरिए और लोगों की लंबी कतार और उनका जयकारा…लोहाखाम देवता की जै! गुरु गोरखनाथ की जै! भगवती मइया की जै! गांव …
द दुंग… दुंग….दुंग द दुंग…दुंग…दुंग ! बीच-बीच में बाजा बदलताः दनकि…दनन…दनकि…दनन ! दनकि…दनन…दनकि….दनन ! द दुंग… दुंग….दुंग द दुंग…दुंग…दुंग ! इसके साथ …